सत्य अनुग्रही
यह एक नाम नहीं बल्कि एक स्थिती है। लेखक सभी पाठ्कों से सत्य को जानने का अनुग्रह करता है। यह आवश्यक नहींं है कि लेखक कौन है परंतु आवश्यक यह जानना है कि हम असल में कौन है? क्या हम शरीर हैं? या आत्मा हैं? या हम ही परमात्मा हैं? या हम है ही नहीं।
लेखक का एक ही उद्देश्य है कि
सत्य के खोजी सिर्फ और सिर्फ अपने खुद के अनुभव को सत्य मानें। जिस भी तथ्य को आप खुद नही जांच सकते उसे पुर्ण सत्य तब तक ना माने जब तक कि खुद के अनुभव द्वारा उसे जान ना लें।
सत्य को जानने का यही एकमात्र रास्ता है।
Urs Truly,
Satya Anugrahi
अति उत्तम विचार । pl continue conversation. You are unique.I appreciate by inner core of heart.
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