तीसरी आँख के बारे में अफवाहें हर तरफ हैं।
कुछ लोगों का कहना है कि ऐसी कोई चीज मौजूद ही नहीं है कुछ कहते है कि पीनियल ग्रंथि ही तीसरी आंख है। कुछ लोग सोचते हैं कि यह किसी तरह का ऊर्जा चक्र हो सकता है। दुर्भाग्य से ये सब स्पष्टीकरण इतने जटिल और भ्रामक हैं कि एक बुद्धिजीवी व्यक्ति के लिये भी यह समझना मुश्किल है साधारण बुद्धि के आम लोगों कि बात ही क्या।
कुछ लोगों का कहना है कि ऐसी कोई चीज मौजूद ही नहीं है कुछ कहते है कि पीनियल ग्रंथि ही तीसरी आंख है। कुछ लोग सोचते हैं कि यह किसी तरह का ऊर्जा चक्र हो सकता है। दुर्भाग्य से ये सब स्पष्टीकरण इतने जटिल और भ्रामक हैं कि एक बुद्धिजीवी व्यक्ति के लिये भी यह समझना मुश्किल है साधारण बुद्धि के आम लोगों कि बात ही क्या।
आज के लेख में मैं बहुत ही आसान शब्दों में तीसरी आंख के बारे में सभी तथ्यों को समझाउंगा और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है की आप खुद उन तथ्यों को अपने आप ही सत्यापित करने में सक्षम होगें।
तीसरी आँख, पीनियल ग्रंथि और क्राउन चक्र के बारे में समझने के लिए आपको पहले निम्न तथ्यों को मानने की आवश्यकता होगी:
1) आप एक शरीर मात्र नहीं बल्कि एक आत्मा हैं।
2) आप, एक आत्मा, एक विशिष्ट स्थान पर अपने शरीर में रहते हैं।
जिन लोगों को शक है उनको मै जल्दि ही एक आसान व्यायाम विधि बताउंगा जिसके द्वारा आप पता कर सकते हैं कि आप शरीर नहीं बल्कि आत्मा हो। मेरे ईमेल aboutrealgod@gmail.com पर संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग पर अपने आप को update रखने के लिए subscribe कर् सकते है।
अगर आप हर तरह से आश्वस्त है कि आप एक आत्मा नहीं हैं, तो यह लेख आपके लिए नहीं है।
ज़िन्हे सच्चाइ जानने का शौक है वो कृपया पढ़ना जारी रखे:
पीनियल ग्रंथि
विज्ञान के अनुसार “पीनियल ग्रंथि” मस्तिष्क के केंद्र में छोटी सी गांठ है जो “मेलाटोनिन हार्मोन” का उत्पादन करती है, मेलाटोनिन हार्मोन हमारे सोने की प्रवृत्ति को प्रभावित करता है, । इसका आकार एक छोटे “Pine Cone” कि तरह दिखता है जिसकी वजह से इसे "पीनियल" ग्रंथि कहा जाता है।
लेकिन अध्यात्म में यह एक जगह है जहाँ से आत्मा परम मुक्ति के लिए मानव शरीर में अपनी यात्रा शुरू करती है । एक आत्मा को खुद के किये हुए कर्मो क फल भोगने के लिये 84 लाख किस्म के शरीरो मे से गुजरना पडता है, लेकिन मोक्ष मानव जन्म में ही संभव है।
मानव शरीर में जन्म के समय आत्मा पीनियल ग्रंथि से अपनी यात्रा एक "केंद्रित या संक्षिप्त रूप" (Concentrated or Condensed) में शुरू करती है। यह मस्तिष्क और फिर शरीर का उपयोग करना शुरू करती है, फिर यह धीरे-धीरे मस्तिष्क मे फैलती है और फिर वहाँ से शरीर के विभिन्न भागों में समा जाती है।
जब आत्मा पीनियल ग्रंथि में केंद्रित रूप में होती है तो इसके सामने यह दो विकल्प होते हैं:
1) 5 अंगों (आंख, कान, नाक, जीभ, व त्वचा) के माध्यम से भौतिक दुनिया से जुडना ; या
2) तीसरी आंख के माध्यम से पांचवें आयाम से जुडना।
शुरू में, "प्रारब्ध" ( "किस्मत" या "कर्म फल") की वजह से, आत्मा को 5 संवेदी अंगों से भौतिक दुनिया देखने के लिए मजबूर किया जाता है। इससे दिमाग सक्रिय हो जाता है और उसके बाद पूरा शरीर सक्रिय हो जाता है। एक बार आत्मा भौतिक दुनिया देख लेती है तो उसके बाद भौतिक दुनिया के विचार दिमाग मे बैठ जाते है और दुनिया के विचारों का कभी ना रुकने वाला चक्र शुरु हो जाता है।
“फोकस” या “ध्यान”:
आत्मा की केवल एक ही विशेषता है "फोकस" या ध्यान। आत्मा भौतिक दुनिया में या 5वें आयाम में केवल "ध्यान केंद्रित" करके काम करती है। आत्मा किसी वस्तु पर ध्यान करती है और उस वस्तु के अलावा यह बाकि चीज़ें भूल जाती है।
जैसे आप अभी यह लेख पढ़ रहे हो आपका ध्यान यहां है और आप अपनी सासों को भूले हुए हो, ऐसे ही जब आपका ध्यान अपनी सांसो पर है तो जो आस पास शोर हो रहा हो आप उसको भूल गये लेकिन अब याद दिलाने पर याद आ गया।
इसी तरह जब आत्मा किसी भी विषय पर ज्यादा देर तक ध्यान करती है तो यह "केंद्रित या संघनित" होना शुरु कर देती है और शरीर सुन्न होना शुरु हो जाता है। अगर आपने कभी ध्यान दिया हो तो जब आप पढ्ते या कोइ काम करते हुए काफी देर तक एक ही अवस्था मे बैठे रहते हो तो आपके पैर सुन्न होना शुरु हो जाते हैं। यह सुन्न होना मेडिकल सुन्न होने से अलग होता है। इसी को आत्मा का सिम्टाव कहते हैं।
आमतौर पर, जीवनकाल के दौरान, आत्मा का फोकस भौतिक दुनिया में रहता है। हालांकि फोकस बदलता रहता है लेकिन भौतिक दुनिया में ही रहता है। जब तक आत्मा इस शरीर मे रहती है शरीर और मस्तिष्क भौतिक दुनिया में कुछ न कुछ करने में व्यस्त रहते हैं इस वजह से आत्मा “पीनियल ग्रंथि” पर वापस "एकाग्र या केंद्रित या संघनित" नहिं हो पाती।
आत्मा शरीर में फैली हुई और् भौतिक दुनिया में केंद्रित। |
आत्मा इस जगह रहती है और यहां से यह शरीर में फैलती है।
कैसे यह आत्मा शरीर में फैलती है? आत्मा और शरीर में पानी और फोम की तरह समान संबंध है। कल्पना कीजिए कि एक शरीर फोम से बना है और अगर आप लगातार पीनियल ग्रंथि को पानी से गीला करते रहें तो पानी फैल जाएगा और धीरे धीरे पूरे शरीर में अवशोषित हो जाएगा।
तो दोस्तो पीनियल ग्रंथि तीसरी आँख नहीं है बल्कि यह शरीर में एक जगह है जहां से आत्मा इस् मानव शरीर में यात्रा शुरू करती है और केवल एक BLESSED OR MARKED आत्मा खुद को वापस पीनियल ग्रंथि में केंद्रित या सघन करती है।
ज़ब आत्मा पीनियल ग्रंथि पर केंद्रित या सघन रूप मे होती है तो पीनियल ग्रंथि को ही “आज्ञाचक्” कहा जाता है.
तीसरी आँख
"तीसरी आंख" पीनियल ग्रंथि में हमेशा से है। यह पीनियल ग्रंथि में एक सूक्ष्म द्वार् है। इसे खोलने कि जरुरत नहीं पडती। जब आत्मा पीनियल ग्रंथि में "केंद्रित या संघनित" रूप में होती है तो यह आंख खुली हुइ ही होती है और आत्मा तीसरी आंख से 5वें आयाम में देख सकती है जहां उच्च चेतना के मन्डल मौजूद हैं और तब आत्मा वहाँ ध्यान केंद्रित करके उस दिशा में आगे बढ़ सकती है।
यहां से आत्मा “क्राउन चक्र” या “सह्स्रार चक्र” जो 5वें आयाम का पहला उच्च चेतना मंडल है में जा सकती है। यहाँ पर एक हज़ार पत्तियों वाला कमल है जिसकी वजह से ही इसे “सह्स्रार चक्र” कहा जाता है।
सभी उन्नत सभ्यताओं को तीसरी आँख या पीनियल ग्रंथि के बारे में पता था।
हिंदू ग्रंथो में इसे "तीसरी आंख" “दिव्य आंख” कहा जाता है।
बाइबिल में इसे ही "Single Eye” कहा गया है।
तो तीसरी आंख खोलने के लिए कोई विशेष तकनीक की आवश्यकता नहीं है क्युं की यह पहले से ही खुली होती है। आवश्यकता केवल एक चीज की है कि किस तरह पीनियल ग्रंथि" पर आत्मा को “केंद्रित या संघनित” किया जाए।
क्राउन चक्र
भौतिक शरीर में 6 सुक्ष्म ऊर्जा केन्द्र या चक्र हैं। इन सूक्ष्म चक्रों को "फोकस" प्रक्रिया से सक्रिय किया जा सकता है। इन चक्रों को सक्रिय करना आत्मा के लिये बहुत मुश्किल नहीं है। "क्राउन चक्र" शरीर के इन 6 चक्रो का हिस्सा नहीं है बल्कि वो 5वें आयाम में मौजूद है और 5वें आयाम का पहला उच्च चेतना मंडल है। यहाँ पर एक हज़ार पत्तियों वाला कमल है जिसकी वजह से ही इसे “सह्स्रार चक्र” कहा जाता है। इस दुनिया से सम्बन्धित सभी ज्ञान, रचनात्मक्ता, व रहस्य इसी जगह खुलते हैं।
तो समाप्त करने के लिए:
आत्मा मानव शरीर में अपनी यात्रा पीनियल ग्रंथि पर केंद्रित या संघनित रूप में शुरू करती है।
पीनियल ग्रंथि से आत्मा मस्तिष्क में और वहां से पूरे शरीर में फैल जाती है, और फिर 5 संवेदी अंगों अर्थात आंख, कान, नाक, मुंह, और त्वचा से भौतिक दुनिया से जुड जाती है।
आत्मा एक प्रक्रिया के जरिये वापस पीनियल ग्रंथि पर केंद्रित य संघनित होने के लिए सक्षम है। इस प्रक्रिया को "फोकस या ध्यान” कहा जाता है। इस प्रक्रिया को आत्मा हर समय इस दुनिया मे काम करने के लिये इस्तेमाल करती है।
जब आत्मा पीनियल ग्रंथि में केंद्रित रूप में होती है तो यह तीसरी आँख के माध्यम से 5वें आयाम में देख सकती है।
see Third Eye in action in this intresting short 4 minutes video
जब आत्मा वापस पीनियल ग्रंथि में केंद्रित होती है और "क्राउन चक्र" के लिए यात्रा शुरू करती है वहां सीधे सृष्टि के सभी दिव्य ज्ञान और सभी रहस्य एक बार में हल हो जाते हैं। हालांकि आत्मा तब आत्मा पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त नहीं होती।
तो कैसे आत्मा को वापस "पीनियल ग्रंथि" पर आसानी से "केंद्रित या संघनित" किया जा सकता है?? वहां से तीसरे नेत्र के माध्यम से देखा जा सकता है?? मैं जल्द ही एक विस्तृत प्रक्रिया के साथ वापस आउंगा।
Urs Truly,
Satya
Satya
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विडंबना है कि हम सोचते हैं कि आध्यात्मिक ग्रंथ किसी पहेली कि तरह हैं और हम कल्पना, तुक्कों और अटकलों के द्वारा इसे हल करने की कोशिश करते हैं।
एक बुद्धिमान व्यक्ति ने एक बार कहा था, "हम हमारे सामान्य ज्ञान लागू करने के बजाय हमारी कल्पना, भ्रम, अवधारणाओं और गलत व्याख्याओं के साथ शिक्षाओं को मुश्किल बना देते हैं। पथ सरल है, हम इसे जटिल बनाते हैं! "
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