Friday 3 June 2016

यहाँ मिलता है भगवान।



नमस्कार और वापस स्वागत है आपका,

पिछली पोस्ट "9 कारण जिसकी वजह से आपको भगवान नही दिखता।" (क्लिक करें) में हमने चर्चा की भगवान कहाँ नही हो सकता और हम एक तार्किक नतीजे पर पहुंचे कि हम एक पक्षपाती भगवान की कल्पना नहीं कर सकते। अगर वह पक्षपाती है तो वह भगवान नहीं है। वो भौतिक दुनिया मे तो बिल्कुल नहीं हो सकता क्युंकि हमारा भगवान पक्षपाती नहीं हो सकता
। वो तो सबको बिना किसी भेद भाव के उप्लब्ध होना चाहिये उन सभी के लिए हर समय उपलब्ध होना चाहिए जिसे उसकी याद आती हो ।




तो भगवान ऐसी कौन सी जगह पर हो सकता है जो जगह पदार्थ से ना बनी हो, बिग बैंग से पहले की हो, जहाँ पर भौतिकी के नियम ना लागू होते हों, जो समय और स्थान से परे हो और जहाँ जाने या देखने के लिए किसी
वीज़ा या पासपोर्ट की जरुरत ना पड़ती हो; यहाँ तक की किसी भी भौतिक वस्तु कि जरूरत ना पड़ती हो??? किसी तरह की शारीरिक रुकावट नही हो; स्त्री पुरुष या काले गोरे का फर्क ना हो; एक शारीरिक रुप से विकलांग एक अन्धा वयक्ति भी जा या देख सकता हो; एक मरणासन्न आदमी भी जा या देख सकता हो; जहाँ एक पापी या दुराचारी वयक्ति भी देख सकता हो???



तो क्या कोई ऐसी जगह है जो ऊपर लिखी सभी कसौटियों पर खरी उतरती हो??? और ऐसी जगह पर भगवान भी मिल सकता हो? क्या ऐसी जगह है जिस के बारे में हम पहले से ही जानते हैं लेकिन आज तक हमने इतने “ध्यान से” गहराई से नही सोचा?


जी हाँ खुशी की बात है कि ऐसी जगह है जो ऊपर लिखी सभी कसौटियों पर खरी उतरती है और ऐसी जगह पर भगवान भी मिल सकता है ।




वो पांचवें आयाम मे मिल सकता है



ये कौन सा Dimension है?? विज्ञान के मुतबिक तो दुनिया में सिर्फ़ तीन आयाम है: एक ऊँचाई, दूसरा लंबाई, तीसरा गहराई। Albert Einstein ने चौथा आयाम बताया जो कि "समय" है( relativitistic physics)। तो यह पांचवा आयाम कहाँ से आ गया???

इससे पहले हमें इसका जवाब मिले, हम अपने आप से कुछ प्रश्न पूछ्तें है

भगवान को अंतर्यामी क्यों कहा जाता है क्या हम भगवान से जुड़ने के लिए आज तक आँख बंद करते आयें है? क्या 
हम प्रार्थना करते समय आँख बंद करते हैं? क्या हमने कभी दो मिनट के लिए ही सही मेडिटेशन किया है?

भगवान को अंतर्यामी कहा जाता है जिसका अर्थ है 
"Inter-Dimensional" यानी "अन्दर के आयाम वाला"। "अन्तर-आयाम"

अब सिर्फ 30 सेकंड के लिए अपनी आँखें बंद करो। क्या आपने अंधेरा देखा ??? एक बार दुबारा कोशिश करो। शायद अब दिखा । आंख् बंद करने के बाद जो अंधेरा दिखता है ये है पांचवां आयाम; ये ऐसी जगह है जिस के बारे में हम पहले से ही जानते हैं लेकिन आज तक हमने इतने “ध्यान से” गहराई से नही सोचा।

गौर करिये

क्या ये "अन्दर का आयाम " है?

क्या ये अंधेरा शून्य है?
क्या हम शारीरिक सीमाओं के बावजूद इसे देख सकते हैं?
क्या हिंदू, मुसलमान, सिख या ईसाई सभी इसे देख सकते है?
क्या स्त्री,पुरुष,बच्चे, गोरे या काले सभी इसे देख सकते हैं?
क्या एक 
मरणासन्न, विकलांग, पापी या दुराचारी वयक्ति भी इसे देख सकता है?
क्या इसे हम बिना कोई दूरी तय किए देख सकते हैं?
क्या ये ऐसी वस्तु है जो Big Bang से भी पहले था?
क्या ये अंधेरा पदार्थ (matter) से अलग है?
क्या यह ऐसी जगह है जहां भौतिक विज्ञान के कानून लागू नहीं होते?
क्या बिना किसी एजेंट, वीज़ा या पासपोर्ट के बिना इसे देखा जां सका है?
क्या ये जगह आप के सबसे पास है?
क्या ये जगह ऐसी है जो बेहद वयक्तिगत है?


बिना किसी शक़ शुबह के ये कहा जा सकता कि आँख बंद करने के बाद जो अंधेरा दिखता है वो ऐसी जगह है जो ऊपर लिखी सभी कसौटियों पर खरी उतरती है? और ऐसी ही जगह पर परमेश्वर मिल सकता है। और आज तक लोगों को मिलता आया है।


आँख बंद करने के बाद जो अंधेरा दिखाई देता है ये ही वो जगह है जहां आप 
उसे देखने में कामयाब होंगे। जहां सभी संतों ने उसे देखा है और उन्हें वो मिला है। ये अंधेरा फिजिकल eyes से नही दिखता बल्कि हमारी तीसरी आँख ही ये अंधेरा देखती है।


लेकिन इस जगह अंधेरा है और अंधेरे के अलावा हम कुछ भी नहीं देख सकते। असल में ये एक दरवाज़ा है जो कि अन्दर से बंद है। इसे खोलने के लिए खटखटाना पड़ेगा।



Holy Bible में आता है


"Matthew 7: 7-8

7 मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; तलाश करो, और तुम्हे

मिल जायेगा; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा:

8 और हर एक जो पूछता है उसे मिलता है; और वह जो उसे ढूँढता है उसे पाता है;

और जो खटखटाता है उसके लिए ये खुलता है।"








दोस्तों जब ये खुलेगा तो इस अंधेरे में रोशनी आ जायेगी। "अंधेरा ही वो जगह है जो रोशन हो सकती है।"


Holy Bible में फिर आता है


"मैथ्यू 6:22

22 शरीर की रोशनी आंख है: अगर तेरी आंख एक हो जायेगी

तो तेरा पूरा शरीर को प्रकाश से भर जाएगा।"


22 The light of the body is the eye: if

therefore thine eye be single, thy


whole body shall be full of light."



ये तीसरी आँख single eye है. इसी को संतो ने दसवाँ द्वार कहा है। ये अंधेरा फिजिकल eyes से नही दिखता बल्कि हमारी तीसरी आँख ही ये अंधेरा देखती है

दोस्तों मै दिल कि गहराइयों से ये मानता हूँ कि वो व्यक्ति जो सही मायने में भगवान को मिलना चाहता है वो सिर्फ़ और सिर्फ़ इसी पाँचवें आयाम में उसे ढूँढे। वो वहीँ मिलेगा और जरूर मिलेगा।


अन्दर के आयाम यानी 5वेँ आयाम् और तीसरी आंख के बारे में विस्तार से जानने के लिये यहाँ क्लिक् करें.



Urs Truly,

सत्या

"For everybody, though only marked soul would act on it."

3 comments:

  1. Good thought, provide some more information on this.

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  2. I like the way you simplified difficult thing. all of us sometimes felt gods existing but this life is so engaging that we don't have enough time to salve the mistry and rely on others theory with some question mark. Sunita bhalotia

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    Replies
    1. You are correct. But since u now know where to look for Him, no need to rely on anybody else.

      He is so close. So close ur eyes and just simply look for Him and be with Him. He will take care of you. He is taking care of everybody.

      Delete

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