"तन थिर, मन थिर, बचन थिर, सुरत निरत थिर होये,
कहे कबीर उस पल का भेद न पाए कोये।"
-संत कबीर
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सबसे पहले मै आपसे देरी के लिये क्षमा मांगता हूँ यह लेख लगभग दो माह के उपरांत लिख रहा हूँ।
पिछली पोस्ट में हमने चर्चा की कि पूर्ण अंतर्मुखी ध्यान में कैसे पहुंचा जाये और तन स्थिर करना क्या होता है इस भाग मे हम परफेक्ट मेडिटेशन की दुसरी अवस्था कि चर्चा करेंगे यानि मन कैसे स्थिर करें?
मन को स्थिर करने से तात्पर्य है कि जैसे आपने तन को एक अवस्था में स्थिर किया है इसी तरह मन को एक अवस्था में स्थिर करना है। परमानेंटली नहीं सिर्फ मेडिटेशन के समय।